Wednesday, September 25, 2013

Maa Vaishno Devi Darshan

About this Blog

The site maavaishnodevidarshan is an unofficial blog created by one of the devotee of Mata Vaishno Devi. The purpose behind this is to guide and help the "yatris" so that they can easily take the 'darshan'.
The blog has been enriched with various pics and information, which is being gathered from the online resources and personal experiences of the blogger while undertaking the Mata Vaishno Devi Darshan.
The blog makes the devotees aware about the various Do's and Don'ts during the yatra and also gives valuable tips which can be followed before undertaking the journey. 
 If in case any devotee wants to contact the official site of Mata Vaishno Devi then you are advised to kindly visit Shri Mata Vaishno Devi Shrine Board   
                                
                                          ।। जय  माता दी ।।
पूरे जगत में माता रानी के नाम से जानी जाने वाली माता वैष्णोदेवी का जागृत और पवित्र मंदिर भारत के जम्मू कश्मीर राज्य के उधमपुर जिले में कटरा से १२ किलोमीटर दूर उत्तर पश्चिमी हिमालय के त्रिकूट पर्वत पर स्थित है। यह एक दुर्गम यात्रा है। किंतु आस्था की शक्ति सब कुछ संभव कर देती है। माता के भक्तों की आस्था और विश्वास के कारण ही ऐसा माना जाता है कि माता के बुलावे पर ही कोई भी भक्त दर्शन के लिए वैष्णो देवी के भवन तक पहुंच पाता है। व्यावहारिक दृष्टि से माता वैष्णो देवी ज्ञान, वैभव और बल का सामुहिक रुप है। क्योंकि यहां आदिशक्ति के तीन रुप हैं - पहली महासरस्वती जो ज्ञान की देवी हैं, दूसरी महालक्ष्मी जो धन-वैभव की देवी और तीसरी महाकाली या दुर्गा शक्ति स्वरुपा मानी जाती है। जीवन के धरातल पर भी श्रेष्ठ और सफल बनने और ऊंचाईयों को छूने के लिए विद्या, धन और बल ही जरुरी होता है। जो मेहनत और परिश्रम के द्वारा ही संभव है। माता की इस यात्रा से भी जीवन के सफर में आने वाली कठिनाईयों और संघर्षों का सामना कर पूरे विश्वास के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रेरणा और शक्ति मिलती है।


कथा - पौराणिक मान्यताओं में जगत में धर्म की हानि होने और अधर्म की शक्तियों के बढऩे पर आदिशक्ति के सत, रज और तम तीन रुप महासरस्वती, महालक्ष्मी और महादुर्गा ने अपनी सामूहिक बल से धर्म की रक्षा के लिए एक कन्या प्रकट की। यह कन्या त्रेतायुग में भारत के दक्षिणी समुद्री तट रामेश्वर में पण्डित रत्नाकर की पुत्री के रुप में अवतरित हुई। लगभग ९ वर्ष की होने पर उस कन्या को जब यह मालूम हुआ है भगवान विष्णु ने भी इस भू-लोक में भगवान श्रीराम के रुप में अवतार लिया है। तब वह भगवान श्रीराम को पति मानकर उनको पाने के लिए कठोर तप करने लगी। जब श्रीराम सीता हरण के बाद सीता की खोज करते हुए रामेश्वर पहुंचे। तब समुद्र तट पर ध्यानमग्र कन्या को देखा। उस कन्या ने भगवान श्रीराम से उसे पत्नी के रुप में स्वीकार करने को कहा। भगवान श्रीराम ने उस कन्या से कहा कि उन्होंने इस जन्म में सीता से विवाह कर एक पत्नीव्रत का प्रण लिया है। किंतु कलियुग में मैं कल्कि अवतार लूंगा और तुम्हें अपनी पत्नी रुप में स्वीकार करुंगा। उस समय तक तुम हिमालय स्थित त्रिकूट पर्वत की श्रेणी में जाकर तप करो और भक्तों के कष्ट और दु:खों का नाश कर जगत कल्याण करती रहो।


इसी प्रकार एक अन्य पुरातन कथा के अनुसार -


वर्तमान कटरा के पास हंसाली गांव में मां वैष्णवी के परम अनुयायी श्रीधर रहते थे। वह नि:संतान होने से दु:खी रहते थे। एक बार उसने नवरात्रि पूजा में कन्या पूजन हेतु कन्याओं को बुलाया। उन कन्याओं के साथ माता वैष्णोंदेवी भी आई। पूजन के बाद सभी कन्याएं तो चली गई पर माँ वैष्णोदेवी वहीं रहीं और श्रीधर से कहा कि पूरी बस्ती को भोजन करने का बुलावा दे दो। श्रीधर ने उस कन्या रुपी माँ वैष्णवी की बात मानकर पूरे गांव को भोजन के लिए निमंत्रण देने चला गया। वहां से लौटकर आते समय बाबा भैरवनाथ और उनके शिष्यों को भी भोजन का निमंत्रण दिया। भोजन का निमंत्रण पाकर सभी गांववासी अचंभित थे कि वह कौन सी कन्या है जो सभी को भोजन करवा रही है।


इसके बाद श्रीधर के घर में अनेक गांववासी आकर भोजन के लिए एकत्रित हुए। तब कन्या रुपी माँ वैष्णोदेवी ने सभी को भोजन परोसना शुरु किया। भोजन परोसते हुए जब वह कन्या भैरवनाथ के पास गई। तब उसने कहा कि मैं तो मांस भक्षण और मदिरापान करुंगा। तब कन्या रुपी माँ ने उसे समझाया कि यह ब्राह्मण के यहां का भोजन है, इसमें मांसाहार नहीं किया जाता। किंतु भैरवनाथ ने जान-बुझकर अपनी बात पर अड़ा रहा। तब माँ ने उसके कपट को जान लिया। माँ ने वायु रुप में बदलकर त्रिकूट पर्वत की ओर चली गई। भैरवनाथ भी उनके पीछे गया। माना जाता है कि माँ की रक्षा के लिए पवनपुत्र हनुमान भी थे। इस दौरान माता ने एक गुफा में प्रवेश कर नौ माह तक तपस्या की। भैरवनाथ भी उनके पीछे वहां तक आ गया। तब एक साधु ने भैरवनाथ से कहा कि तू जिसे तू एक कन्या समझ रहा है, वह आदिशक्ति जगदम्बा है। इसलिए उस महाशक्ति का पीछा छोड़ दे।


भैरवनाथ साधु की बात नहीं मानी। तब माता गुफा के दूसरे मार्ग से बाहर निकली। यह गुफा आज भी अद्र्धकुंवारी या गर्भजून के नाम से प्रसिद्ध है। गुफा से बाहर निकल कर कन्या ने देवी का रुप धारण किया। माता ने भैरवनाथ को चेताया और वापस जाने को कहा। फिर भी वह नहीं माना। माता गुफा के भीतर चली गई। तब तक वीर हनुमान ने भैरव से युद्ध किया। भैरव ने फिर भी हार नहीं मानी तब माता वैष्णवी ने महाकाली का रुप लेकर भैरवनाथ का संहार कर दिया। भैरवनाथ का सिर कटकर त्रिकूट पर्वत की भैरव घाटी में गिरा। मृत्यु के पूर्व भैरवनाथ ने माता से क्षमा मांगी। तब माता ने उसे माफ कर वर भी दिया कि मेरा जो भी भक्त मेरे दर्शन के बाद भैरवनाथ के दर्शन करेगा उसके सभी मनोरथ पूर्ण होंगे। तब से आज तक अनगिनत माता के भक्त माता वैष्णोंदेवी के दर्शन करने के लिए आते है।


माता का भवन - माता वैष्णों देवी का पवित्र स्थान माता रानी के भवन के रुप में जाना जाता है। यहां पर ३० मीटर लंबी गुफा के अंत में महासरस्वती, महालक्ष्मी और महादुर्गा की पाषाण पिण्डी हैं। इस गुफा में सदा ठंडा जल प्रवाहित होता रहता है। कालान्तर में सुविधा की दृष्टि से माता के दर्शन हेतु अन्य गुफा भी बनी हैं।


दर्शनीय स्थान -


माता वैष्णोदेवी के दर्शन के पूर्व माता से संबंधित अनेक दर्शनीय स्थान हैं।


चरण पादुका - यह वैष्णों देवी दर्शन के क्रम में पहला स्थान है। जहां माता वैष्णो देवी के चरण चिन्ह एक शिला पर दिखाई देते हैं।


बाणगंगा - भैरवनाथ से दूर भागते हुए माता वैष्णोदेवी ने एक बाण भूमि पर चलाया था। जहां से जल की धारा फूट पड़ी थी। यही स्थान बाणगंगा के नाम से प्रसिद्ध है। वैष्णोदेवी आने वाले श्रद्धालू यहां स्नान कर स्वयं का पवित्र कर आगे बढ़ते हैं।


अद्र्धकुंवारी या गर्भजून - यह माता वैष्णों देवी की यात्रा का बीच का पड़ाव है। यहां पर एक संकरी गुफा है। जिसके लिए मान्यता है कि इसी गुफा में बैठकर माता ने ९ माह तप कर शक्ति प्राप्त की थी। इस गुफा में गुजरने से हर भक्त जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है।


सांझी छत - यह वैष्णोदेवी दर्शन यात्रा का ऐसा स्थान है, जो ऊंचाई पर स्थित होने से त्रिकूट पर्वत और उसकी घाटियों का नैसर्गिक सौंदर्य दिखाई देता है।


भैरव मंदिर - यह मंदिर माता रानी के भवन से भी लगभग डेढ़ किलोमीटर अधिक ऊंचाई पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि माता द्वारा भैरवनाथ को दिए वरदान के अनुसार यहां के दर्शन किए बिना वैष्णों देवी की यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती है।


वैदिक ग्रंथों में त्रिकूट पर्वत का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा महाभारत में भी अर्जुन द्वारा जम्बूक्षेत्र में वास करने वाली माता आदिशक्ति की आराधना का वर्णन है। मान्यता है कि १४वीं सदी में श्रीधर ब्राह्मण ने इस गुफा को खोजा था।


उत्सव-पर्व -


माता वैष्णो देवी में वर्ष भर में अनेक प्रमुख उत्सव पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाएं जाते हैं।


नवरात्रि - माता वैष्णोदेवी में चैत्र और आश्विन दोनों नवरात्रियों में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। इस काल में यहां पर यज्ञ, रामायण पाठ, देवी जागरण आयोजित होते हैं।


दीपावली - दीपावली के अवसर पर भी माता का भवन दीपों से जगमगा जाता है। यह उत्सव अक्टूबर - नवम्बर में मनाया जाता है। इसी माह में जम्मू से कुछ दूर भीरी मेले का आयोजन होता है।


माघ मास में श्रीपंचमी के दिन महासरस्वती की पूजा भी बड़ी श्रद्धा और भक्ति से की जाती है।


जनवरी में ही लोहड़ी का पर्व और अप्रैल माह में वैशाखी का पर्व यहां बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। जिनमें स्नान, नृत्य और देवी पूजा का आयोजन होता है।


पूजा का समय :-


माता वैष्णो देवी की नियमित पूजा होती है। यहां विशेष पूजा का समय सुबह ४:३० से ६:०० बजे के बीच होती है। इसी प्रकार संध्या पूजा सांय ६:०० बजे से ७:३० बजे तक होती है।


पहुंच के संसाधन -


वायु मार्ग - माता वैष्णोदेवी के दर्शन हेतु सबसे पास हवाई अड्डे जम्मू और श्रीनगर के हैं। रेलमार्ग - रेल मार्ग से वैष्णोदेवी पहुंचने के लिए जम्मूतवी, पठानकोट और अमृतसर प्रमुख रेल्वे स्टेशन है। जहां से कटरा सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है। सड़क मार्ग - वैष्णोदेवी के दर्शन हेतु श्रीनगर, जम्मू, अमृतसर से कटरा पहुंचा जा सकता है। जहां से वैष्णोदेवी का भवन १२ किलोमीटर दूर है।


सलाह - इस स्थान पर दिसम्बर से जनवरी के बीच शून्य से नीचे हो जाता है और बर्फबारी भी होती है। इसलिए यात्रा के लिए उचित समय को चूनें।


(फोटो, जोक्स और ब्रेकिंग न्यूज के लिए आप हमें फेसबुक पर भी फॉलो कर सकते हैं।) 
                       

                   

How to Reach Katra

Once you have selected your preferred way for How to Reach Vaishno Devi and landed in the holy city of Jammu; then your next stoppage for Mata Bhawan would be Katra. The distance between Jammu and Katra is about 50 Km. Katra serves as a base camp in the journey towards Maa Vaishno Devi. As the Bhawan of Mata Vaishno Devi is in the hills of the Trikuta Mountain, thus most of the devotees rests and stay at Katra before commencing their onward journey for Vaishno Bhawan.
A Taxi on the Jammu to Katra road
Roadway from Jammu to Katra

How to reach Vaishno Devi

  चलो बुलावा  आया है ! माता ने बुलाया है !!

                    


It is a strong belief by the devotees of Mata that the holy tour to Vaishno Devi starts after the "Call of Mata". You may analyze this to be an outcome of faith but it is more than a simple belief and many pilgrims have gained personal experiences regarding this "Call of Mata". Devotees feel that when Mata calls them, they are bound to visit Vaishno Devi, to get pampered with her love and blessings. On the contrary it is also believed that you can't take the Darshan if you do not get the "Call of Mata", irrespective of your high social status.

जय माता दी - About "Mata Vaishno Devi"

Frontview of Devi Mata Bhawan
Maa Vaishno Devi Bhawan
The holy cave of Mata Vaishno Devi is located in the state of Jammu & Kashmir, also known as the heaven of India. The cave resides in between the three peaks of the mountain called Trikuta. The Mata Vaishno Shrine stands to be one of the holiest and oldest Hindu temples and is regarded as the most visited pilgrim places of India. Devotees have to cover a distance of around 12 km from Katra to Bhawan.

 

 Registration for the Yatra

Yatra Parchi Counter - Katra - Vaishno Devi
Vaishno Devi Yatra Parchi Counter - Katra 
It's now that you have refreshed at the Hotels in Katra and planning to move further for the Yatra. Before starting the onward journey it is essential that each of the pilgrims should register himself for the Vaishno Mata Yatra. The registration process is carried out near the Katra bus stand. The Shrine Board of Mata Vaishno has arranged a fully computerized "Yatra Registration Center (YRC)" which is entitled to register each and every pilgrim without any exception. According to the Shrine Board Authority any pilgrim cannot proceed for the Yatra without a valid and authentic Yatra Slip/Parchi. This Yatra Slip is given to each visitor FREE of cost from the YRC of the Shrine Board. 

Hotels in katra

Beauty of Katra
Katra is located at an altitude of approximately 2500 feet above the sea level. Katra serves as the base camp for preceding the holy yatra towards Mata Vaishno Devi Bhawan. The town caters the needs of pilgrims by providing a wide variety of facilities and fulfils their requirements. The facility ranges from free/rented accommodations to food and refreshments, railway reservation counters, communication services, banking, medical and police station. Pilgrims can also purchase souvenirs, prashad, books and other religious items related to Mata Vaishno from the various Souvenir Shop maintained by Vaishno Devi Shrine Board.

बोलो सांचे दरबार की जय!!!




Jai Maa Vaishno Devi!!!!
The Intention of creating this blog is to make all you shradlu aware as to how to reach Vaishno Devi. This blog probably will help tou to explore the option to reaching there & will make your yatra more comfortable.
Vaishno Devi one of the most Holy Place in the World is located in state Jammu & Kashmir (J&K), India.
Vaishno Devi is approx 12 Kms away from Katra. Katra is well connected by Road to Jammu. Jammu is very well connected by Train, Road, Air from all metros of India.


Train Enquiry & booking can be done through http://www.irctc.co.in/ IRCTC does have package for Vaishno devi yatra. A Rajdhani Train also run on Delhi - Jammu route on every Friday.


Once you reach to Jammu then you can then reach Katra by bus or you can hire a taxi. Katra is 40 Km from Jammu & Travel time would be around 2 hrs. The journey is a bit tiring and you will need to freshen up after reaching there.
It is always advisable to take an hotel for your stay there, normally it takes a day to go to the vaishno devi shrine and come back and more importantly one cannot carry all the bag and baggages.the place Katra is filled with Hotels. Your Taxi/Bus will drop you at Katra Bus station. Hotels of all budget are available in Katra. When you reach Katra you will find yourself surrounded by agents for Hotel. Basically they all are good for nothing. So I would advise you to not to listen them all. Remain calm & search hotel as per your requirement.
If you did booking for hotel online then it is also fine. I come to know there are many websites which provides online hotel booking facility for hotels. You may do some googling for this.
The Average Room Rent in offseason is INR350 (Non A/C Room) & INR600 (A/C Room). In Peak Season this figure would be around INR500 & INR750 respectively.


First thing you need to go is to get Yatra Parchi from Shrine Board office which is located on Katra Bus Stand.
Have a good bath & if you want take a short nap then go ahead. Have a meal & start your Journey.


You can to cover 12 km yatra by following options:
1. Helicopter
2. Palki
3. Horses
4. Bus # 11 (Walk) :-)

Helicopter:- There are two helicopter services available from Katra. Helicopter drops at Sanjichat which is approx 2 km far from Vaishno Devi Bhawan. You have to walk from Sanjichat to Bhawan.


Operator 1: Air Deccan - Air Deccan charge INR1550 per passenger (Including Taxes) from you for one way ride. Time slot for Air Deccan is 11:30 AM - 1:30 PM and 4:30 - 6:30 PM. Slot timing keep changing. Please check with them for their Current time slot. The Air Deccan booking can be done through any of Deccan Travel agent or from their website is http://www.flyairdeccan.net/.
Operator 2: Himalayan Heli Service: Himalayan Heli Service is cheaper than Air Deccan. They charge INR1200 per passenger (Including Taxes). Himalyan is also operate in 2 slots & they are 9 AM - 11 AM & 2 PM - 4 PM. Time slots keeps changing so please check with Himalyan for time slots. The booking method available for Himalyan is to call them or some body will buy for you from their katra office. Till date they do not have any website. What I did I called them on their landline no & got my tickets booked. Once they will confirm your ticket on phone then it means they are booked. You no need to pay any thing over phone for booking.

The problem with Helicopter services is they wont operate some time due to weather. In my case the day was very foggy so they have halted their operation. They can give you option in another slot but concern is climate is beyond any one’s control. Me & my family have opted to walk rather than waiting. Due to that decision we saved our time because Helicopter services have resume their operation after 2 Days.


Palki:- Palki is for aged or Disables. The charges are approx INR2000 per head (Approx). Rate are fixed & written every where. If you feel that you have been asked for more then prompt local police.


Horses:- Horses are available at Banganga (Beginning point of Yatra).


Walking:- The Best choice is to walk. You can comfortably reach at bhawan by taking new way. New Road is diverted before 0.5 Km from Ardhkumari. From ArdhKumari there is a tunnel which meet new way. New way is the wide road which are more best way to watch & horses wont go from new way. New way is less steep than older way.
The best part of Journey is that you will enjoy the holy environment, Scenic view, Food. Rich, Poor every one walk & keep chanting Jai Mata Di.


ArdhKumari: Ardhkumari is Garbhjun where Maa Vaishno Devi had spent 9 months period. This is the belief that one should cross this cave before going to Bhawan. But Ardhkumari is all time crowded & there is all time long waiting queues. My Suggestion check if your waiting time is within 6 hrs then you can wait else go to bhawan & visit ardhkumari in your return journey. Well this is my view. You can take decision according to your belief & choices.


There is belief that any human being no matter how fatty he is, can cross narrow ardhkumari cave & Yes this is true.


Once you reach bhawan, first you need to have get the Batch #.
You must be tired by this time. Get a bath there. You will not forget this experience very easily.
Keep your luggage & belongings in clock room. There are Rooms & Dormitory available at Bhawan. For which booking can be done either
http://maavaishnodevi.org/ or Shrine Board office, Katra.


On Bhawan there are 4 gates.
Gate 1 & 2: Gate 1 & 2 are the normal gate. Gate 2 remain close maximum time. You will get entry from gate 1. If there is rush time then you could have to wait for long. Long means some time it is 2-3 days too.
This kind of scenario happens only in time of Navaratas. But normally you need to wait 5-6 hrs.
Gate 3: This is entry for Military official & there family, friends. This lines join Gate 1&2 line at last. It saves lot of time. You need to not for long irruptive of rush.
Gate 4: This is VVIP gate. For the entrant of this gate goes direct for darshan without any stoppage.
Once you will be out after having darshan. You may want to enjoy food over there. Enjoy food.


Bhairav Mandir: Bhairav Mandir is 2.5 Km far from Bhawan. This is a belief that after having darshan of Maa Vaishno Devi you need to visit Bhairav Baba mandir. Bhairav Baba Mandir's way is not good. But it is not a big issue. Best thing at Bhairon Baba Mandir that it will not be much crowded.


You may rest at bhawan. Free Blankets are also available there. For every blanket you need to deposit INR100 as a Secuirty.


Hope the above information will help you. You may leave your review comments. If you would like to add more information then please go ahead. Wishing you & your family a very Happy journey.


PS: The author of this blog will not bear any responsibility of any Loss/Damage due to provided Information. 

How to reach Mata Vaishno Devi Ji


How to reach..Rest of India to jammu In order to visit the Holy Shrine of Mata Vaishno Devi Ji, one has to reach Katra, a small town situated around 50 kms. from Jammu, the winter capital of the state of Jammu & Kashmir. Katra serves as the base camp for the yatra. Katra is well connected to Jammu and Jammu, in turn, is well connected to the rest of the country by Air, Rail, and Road.
By AirJammu is well connected to the rest of India by air. Both Indian Airlines and Jet Airways operate daily flights to Jammu. The average flying time from New Delhi is about 80 minutes.

By TrainOne can also reach Jammu by rail. Jammu is connected to other parts of country on broad gauge and numerous passenger trains ply from various parts of the country to Jammu. In the peak season of summer and other holidays, the Railways introduce special trains for Jammu for the comfort of the Yatris. Many superfast trains also ply on this route and one can reach Jammu overnight from New Delhi.
A list of trains, their schedules and booking status could be seen at the Indian Railways website. You can even book tickets online if you are planning to travel in the near future.


By RoadJammu is well connected through road also to rest of India. National Highway No. 1A passes through Jammu towards Srinagar. Regular bus services from all major North Indian cities are available for Jammu as well as Katra. Many standard and deluxe buses of various State Road Transport Corporations as well as private operators connect Jammu with important cities and towns of North India.
Passengers using Air or Rail as a mode of travel have necessarily to break their journey at Jammu and from thereon select an alternative mode of transport. However for passengers traveling by road, either through public or own transport, there is an option of taking a by-pass from Kunjwani, nearly 10 kms. off Jammu and heading straight for the base camp i.e Katra. The option of a halt at Jammu is thus entirely with the yatri although many yatries would like to spend more time in Jammu and visit the temples and other landmarks there.
Through information www.maavaishnodevi.org

Introduction about Shri Mata Vaishno Devi Ji


The management of the Yatra and the governance and administration of the Shrine is done by the Shri Mata Vaishno Devi Shrine Board, popularly called the Shrine Board. The Board was set up in August 1986 under the provisions of The Jammu and Kashmir Shri Mata Vaishno Devi Shrine Act, 1986. The main objective of the Act was to provide for better management and governance of the Holy Shrine of Shri Mata Vaishno Devi Ji and its endowments including the appurtenant lands and buildings.
Prior to the takeover, the management and control of the Shrine was with a private trust called the Dharamarth Trust and a group of traditional local residents called Baridars (so called because they collected their offerings as per their turn- bari) .The takeover was necessitated considering the poor state of things and the absence of facilities for the pilgrims. While the offerings were pocketed by the Baridars, the other incomes including rentals and royalties were taken by the trust. However, there were very few facilities for the Yatries. The pilgrims who reached the Holy town of Katra from all over India with devotion and faith in their hearts were often met with all kinds of hardships, insensitivity and mismanagement.
Under the provisions of the Act, the Administration, management and governance of the Shri Mata Vaishno Devi Shrine and the Shrine Funds shall vest with a Board comprising Chairman and not more than ten members. The Governor of the state of Jammu and Kashmir by virtue of his office is the ex-officio Chairman of the Board. He nominates nine members in the Board at the policy making level. The Board discharge its duty through a Chief Executive Officer who is assisted by the Addl. Chief Executive Officer and various Area Heads and Functional Heads.
Ever since the takeover the Shrine Board has continously strived hard to provide all possible facilities to the Devotees visiting the Holy Cave Shrine of Shri Mata Vaishno Devi Ji. With the result, the yatra to the Holy Shrine of Shri Mata Vaishno Devi Ji has increased tremendously, from 13.95 lakhs to 69.50 lakhs in the year 2006. This has been possible due to the blessings of the Divine and the all round efforts of the Shrine Board. Today the Shrine Board is recognized as one of the major service providing organization in the country. The efforts of the Shrine Board have been to make the Yatra to the Holy Shrine of Shri Mata Vaishno Devi Ji a smooth and memorable experience. Efforts are still afoot to further improve the facilities for the Yatries and provide them state of the art facilities in every sphere.
Posted by Mr.Anil kumar Shukla(Auraiya)Uttar Pradesh
Through information
www.maavaishnodevi.org

Shri Mata Vaishno Devi


Indian Spiritual tradition has propounded four Purusharth (objectives) of a human life. These being Dharm (Righteousness), Arth (Material Pursuits), Kaam (Contentment) and Moksh (Enlightenment). Shri Mata Vaishno Devi is believed to grant all the four boons to those who visit Her Holy Shrine. She is considered to fulfill anything and everything that a person wishes for in life, in a righteous way. It is an experience of all, that no one goes empty handed from Her Great Pilgrimage.The journey to the Holy Shrine of Mata Vaishno Devi is thus an enchanting journey of the places where Mata Vaishnavi had spent some time while observing various spiritual disciplines and penances. The culmination of this journey is at the Holy Cave where She merged Her Human form with the astral form of Her creators, the three Supreme Energies

 

माँ वैष्णो देवी का पावन गुफ्फा मार्ग <>जय माँ वैष्णो देवी <> जय माता दी